रवीन्द्रनाथ टैगोर जब भी साहित्य कला का जिक्र होता है, रवीन्द्रनाथ टैगोर का नाम सर्वप्रथम लिया जाता है। स्वर्गीय रवीन्द्रनाथ टैगोर की कृतिया न केवल भारत मे ही अपनी ख्याति प्राप्त की है बल्कि पूरे विश्व स्तर पर अपनी ख्याति प्राप्त की है। किसी भी मनुष्य के आध्यात्मिक ज्ञान की शुरूआत साहित्य से ही होकर गुजरती है। साहित्य के सभी शाखाओ मे उनकी रचनाएँ शामिल है। कविता, उपन्यास, नाटक, कथा सभी तरह की रचनाओं में उनका बहुत ही बड़ा योगदान रहा है। उनकी द्वारा प्रकाशित की गई रचनाओं मे गीतांजलि, गीतिमाल्य, कथा ओ कहानी, गीताली, भोलानाथ, कणिका प्रमुख है। अपनी कई कृतियो का उन्होने अंग्रेजी मे अनुवाद किया है, जिससे उनकी ख्याति पूरे विश्व में फैली। उनकी 'गीतांजली' और 'चित्र' अन्तराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित कर चुकी है। सन् 1913 मे उनको साहित्य के लिए सर्वश्रेष्ठ 'नोबेल पुरस्कार' देकर सम्मानित किया गया था। इसके बाद ही उनके नाम के साथ ' विश्व कवि' शब्द जुड़ गया। उनके द्वारा रचित ' जन-गन- मन-अधिनायक-जय हे' भारत का राष्ट्रीय गान है। रवीन्द्रनाथ टैगोर एक चि
रोग प्रतिरोधक क्षमता मानव शरीर में विभिन्न प्रकार के आंतरिक रोगो से मानव शरीर की रक्षा करता है। यह हमारे शरीर मे पाए जाने अति सूक्ष्म जीवाणुओ व कीटाणुओ से शरीर की रक्षा करते हैं । विभिन्न प्रकार के रोगो से मुक्ति पाने के लिए हमारे शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity power) की प्रचुरता होना अत्यंत आवश्यक है। आप अपना रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए नीचे दिए गए विभिन्न प्रकार के सुझावो का पालन कर सकते हैं । नियमित व्यायाम:- व्यायाम हमारे शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है । शरीर को स्वच्छ रखने मे व्यायाम अहम भूमिका निभाता है। व्यायाम हमारे शरीर के रक्त को स्वच्छ रखने मे मदद करता है, जिससे हमारे शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता मे वृध्दि होती है। हमे प्रातः काल व्यायाम करना चाहिए। पेय पदार्थ:- सभी लोग सुबह के समय चाय पीने के शैकिन होते है। परन्तु आप दूध के चाय का परहेज करे , ये शरीर को नुकसान पहुचाते है। आप हरी चाय (Green Tea) का सेवन करे। हरी चाय रक्त को साफ रखता है, और आपके शरीर को स्वच्छ बनाए रखता है। फलो का सेवन:- विटा