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Rabindranath Tagore

रवीन्द्रनाथ टैगोर जब भी साहित्य कला का जिक्र होता है,‌ रवीन्द्रनाथ टैगोर का नाम सर्वप्रथम लिया जाता है। स्वर्गीय रवीन्द्रनाथ टैगोर की कृतिया न केवल भारत मे ही अपनी ख्याति प्राप्त की है बल्कि पूरे विश्व स्तर पर अपनी ख्याति प्राप्त की है। किसी भी मनुष्य के आध्यात्मिक ज्ञान की शुरूआत साहित्य से ही होकर गुजरती है। साहित्य के सभी शाखाओ मे उनकी रचनाएँ शामिल है। कविता, उपन्यास, नाटक, कथा सभी तरह की रचनाओं में उनका बहुत ही बड़ा योगदान रहा है। उनकी द्वारा प्रकाशित की गई रचनाओं मे गीतांजलि, गीतिमाल्य, कथा ओ कहानी, गीताली,  भोलानाथ, कणिका प्रमुख है। अपनी कई कृतियो का उन्होने अंग्रेजी मे अनुवाद किया है, जिससे उनकी ख्याति पूरे विश्व में फैली। उनकी 'गीतांजली' और‌ 'चित्र' अन्तराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित कर चुकी है। सन् 1913 मे उनको साहित्य के लिए सर्वश्रेष्ठ 'नोबेल पुरस्कार' देकर सम्मानित किया गया था। इसके बाद ही उनके नाम के साथ ' विश्व कवि' शब्द जुड़ गया। उनके द्वारा रचित ' जन-गन- मन-अधिनायक-जय हे' भारत का राष्ट्रीय गान है। रवीन्द्रनाथ टैगोर एक चि...